शनिवार, 24 दिसंबर 2011

(लघु कथा) लाले का मकान

एक लाला जी थे, गले तक नोटों से पटे पड़े थे. जलवा दिखाने को, वास्तु वालों को बुला हज़ारों करोड़ रुपये का चूना कर झुग्गी सा एक फ़्लैट बनवाया. गृह प्रवेश करते ही लाखों करोड़ रुपये के शेयर गिर गए.
लाला जी ने पांडू बुलाए— "क्यों?"
"कब्रिस्तान पे मकान बनाने की किसने कही थी"— उन्होंने तो खीस निपोर दी.
लाला जी ढक्कन हुए.

7 टिप्‍पणियां:

  1. हा-हा-हा-हा...लघुतम और सर्वोत्तम समेटे कहानी का एवार्ड मिलना चाहिए आपको तो !

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  2. लाला जी को क्या फर्क पड़ता है दोबारा बना देंगे, सारे देश में सब्जी-ठेले से लेकर मोबाइल की दुकानें हैं उनकी।

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